पवन सिसोदिया + शिक्षा एक प्रणाली है, एक ऐसा तंत्रलिपि जिसके तहत बच्चों को ज्ञान का धन प्रदान किया जाता है। ताकि वे कामयाबी चखने के साथ-साथ अच्छे इंसान भी बन पाए. गए दिनों इस *शिक्षा व्यवस्था को कोरोना की कहर तहस-नहस कर चूका है,* जिसके चलते स्कूलों में शिक्षा की गतिविधियाँ पूर्णतः ठप हो चुकी हैं. इससे छात्र-छात्राओं की पढाई बाधित हुई है. खास कर प्राइमरी सेक्शन के बच्चों की पढाई तो बिलकुल ही अस्त-व्यस्त हो चुकी है. *संभवतः, इस सत्र में शायद इन नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए स्कूली पढाई शुरू ही नहीं हो*. एक पूरा सत्र स्कूल नहीं चलने से इन नन्हे बालक-बालिकाओं के *मानसिक विकास को क्षति पहुँच सकती है*. इस बात को लेकर *सभी अभिभावक घोर चिंतित हैं.*
पर अब नहीं! चिंता के बादल बिखर चुके हैं और अच्छे दिन के प्रकाश उजागर हो चुके हैं. अंकुरम एकेडमी ने विश्व-विख्यात प्री-प्राइमरी शिक्षण श्रिंखला ‘माय छोटा स्कूल’ (एम.सी.एस) के साथ टाई-अप कर प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी शिखा के क्षेत्र में एक अनोखा प्रयास *झाबुआ एवं रानापुर* के अभिभावकों के लिए लाया है. इस प्रयास का नाम है *‘होम स्कूलिंग’* जो देश में पहली बार ‘माय छोटा स्कूल’ द्वारा पिछले दिनों अंकुरम एकेडमी में आरम्भ किया गया है. *‘माय छोटा स्कूल’, जिसकी 650 से भी अधिक शाखाएँ भारत एवं सारी दुनिया में फैली हुई है* और नई दिल्ली-स्थित मेन ऑफिस से संचालित होती हैं, अपने *‘होम-स्कूलिंग’ के माध्यम से कोरोना के इस गंभीर परिस्थिति में नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए एक वरदान लेकर आया है.*
*‘होम-स्कूलिंग’ एक अनोखा कार्यक्रम है जो नर्सरी, एल.के.जी एवं यू.के.जी के बच्चों के लिए सोचा गया है*. ‘होम-स्कूलिंग’ के अंतर्गत स्कूल का पठन-पाठन अब अभिभावकों के द्वार के चौखट पर आ पंहुचा है. अब नर्सरी, एल.के.जी एवं यू.के.जी के बच्चों को इस भीषण परिस्थिति में स्कूल आने की ज़रूरत नहीं है. ‘माय छोटा स्कूल’ अब बच्चों को घर के चार दीवारियों के अन्दर ही क्लासेज की पढाई कराएगी. इसके अंतर्गत *एडमिशन के पश्चात अभिभावकों को किताबों के साथ-साथ साप्ताहिक पाठ्यक्रम दिया जायेगा, जिसमें सप्ताह के हर दिन के लिए एक्टिविटीज होंगे. यह एक्टिविटीज बच्चों को वर्कशीट, ऑडियो तथा विडियो लेसन के माध्यम से समझाया जायेगा.* बच्चे यह एक्टिविटीज रोज़ करेंगे और सप्ताह के एक पूर्व-निर्धारित दिन अभिभावक यह एक्टिविटीज स्कूल में लायेंगे एवं शिक्षक इन्हें चेक करेंगे. *हर सप्ताह अभिभावक को एक नया साप्ताहिक पाठ्यक्रम दिया जायेगा.* यहाँ उल्लेख करना ज़रूरी है कि इन एक्टिविटीज के साथ-साथ *नियमित रूप से परीक्षाएं होती रहेंगी और पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग्स के अंतर्गत बच्चों का प्रगति पर मंथन किया जायेगा.*
अगर इसका संक्षेप में विवरण किया जाये तो यूँ कहना उचित होगा कि स्कूल की साड़ी गतिविधियाँ और स्कूल का वातावरण घर ही में लाने की यह एक उल्लेखनीय कोशिश है.
‘माय छोटा स्कूल’ का ‘होम-स्कूलिंग’ एक सामान्य संकल्पना पर आधारित है – *स्कूल एवं अभिभावक हाथ में हाथ धरे बच्चों के लिए प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें.* अगर स्कूल में शिक्षक बच्चों के अभिभावक हैं, तो घर में अभिभावक उनके शिक्षक हैं. इसीलिए यह ज़रूरी है कि *घर पर कम-से-कम एक से दो घंटे अभिभावक अपने बच्चों के साथ इन एक्टिविटीज को करवाने में मदद करें.* इस क्रम में हर कदम पर स्कूल अभिभावकों के साथ हैं और किसी भी वक़्त परेशानी का सामना करने पर स्कूल के हेल्पलाइन नंबर्स पर वे बेझिझक संपर्क कर सकते हैं.
कोरोना से ग्रसित वातावरण में इस अनोखी कोशिश की सराहना अभिभावकों के बीच क्रमशः जोर पकड़ रही है. उम्मीद है अंकुरम एकेडमी के से इस प्रयास में अभिभावकों का पूरा सहयोग मिलेगा.
और अधिक जानकारी के लिए अभिभावकगण विद्यालय से इन नंबर्स पर संपर्क कर सकते हैं:
*7869459999*
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